International Union of Left Publishers (IULP) Condemns Indonesia’s  Criminalisation of Marxism

On 6 December 2022, the Indonesia parliament passed a new criminal code. There is much to debate about this code, including the violations of the rights to equality before the law and equal protection as well as the right to privacy and the right to freedom of speech and association.

One aspect of the law that has received little concern is the section of the law that specifically outlaws Marxism with a ten-year sentence for being associated with organisations with a Marxist tendency and a four-year sentence for spreading Marxism. It is unfortunate that Marxism-phobia, a legacy of the worst period of the Soeharto dictatorship (1965-1998), is upheld by a government that is the beneficiary of the people’s movement that overthrew that dictatorship.

Marxism has deep roots in Indonesia’s fight against colonialism, having inspired the leading figures in the freedom struggle. Dr. Mohammed Hatta, Indonesia’s first vice president, translated parts of Karl Marx’s Das Kaptial into Bahasa Indonesian. Soewardi – creator of Indonesia’s National Education – translated the lyrics of The Internationale, the anthem of the Paris Commune and of international communism. Can one imagine Indonesian freedom without the thought and work of Tan Malaka, an early communist, and can one imagine the early years of the Indonesian republic without the thinking of the first President Sukarno, whose philosophy melded Marxism, Nationalism, and Islam.

It is deeply concerning that the current government of Indonesia would reject this rich heritage in favour of the dictatorship’s falsified version of history. This new criminal code turns its back on Indonesia’s history in order to discipline the people of Indonesia today. It will be used to suffocate the civil society organisations and labour organisations, as well as independent publishers and scholars.

We, the International Union of Left Publishers, appeal to the Indonesian government to revise this code and uphold the fundamental rights enshrined in the International Convention on Civil and Political Rights (1976), of which Indonesia is a signatory in 2006.

13 December 2022.

1804 Books (USA)
Batalla de Ideas (Argentina)
Chintha Publishers (India)
El Colectivo (Argentina)
EPO (België)
Expressão Popular (Brazil)
IDEA (Romania)
International Strategy Center (South Korea)
Kriya Madhyama (India)
LeftWord Books (India)
Liberation Books (USA)
Manifest Libres (Spain)
Naked Punch (Pakistan)
National Book Agency (India)
Vaam Prakashan (India)
Založba /*cf (Slovenia)


वामपंथी प्रकाशकों का अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूएलपी) इंडोनेशिया में मार्क्सवाद को अपराध घोषित किए जाने की निंदा करता है


6 दिसंबर, 2022 को इंडोनेशियाई संसद ने एक नयी आपराधिक संहिता को मंज़ूरीदी, जिसके कई प्रावधान विवादास्पद हैं। ये प्रावधान क़ानून की नज़र में सबकी समानता, सबकी रक्षा के साथ-साथ निजता और अभिव्यक्ति तथा संगठित होने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।इसके प्रावधानों का एक खंड जिस पर कम ही ध्यानगया है, ख़ासतौर से मार्क्सवाद को ग़ैरक़ानूनी क़रार देता है। इसमें किसी भी मार्क्सवादी रुझान वाले संगठन का हिस्सा बनने पर दस साल और मार्क्सवाद का प्रचार करने पर चार साल की सज़ा दिए जाने की बात कही गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुहार्तो की तानाशाही (1965-98) के सबसे बुरे दौर के मार्क्सवाद-फोबिया को वह सरकार बढ़ावा दे रही है, जिसने उस तानाशाही को उखाड़ फेंकने वाले जनांदोलन का भरपूर लाभ उठाया है।

इंडोनेशिया में उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष में मार्क्सवाद की अहम भूमिका रही है। इसने इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संघर्ष के नेताओं को गहरे रूप में प्रभावित किया। देश के प्रथम उप राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद हट्टा ने कार्ल मार्क्स की ‘दास कैपिटल‘ के कई अंशों का अनुवाद बहासा इंडोनेशिया (इंडोनेशियाई भाषा) में किया। इंडोनेशिया की राष्ट्रीय शिक्षा के जनक सुएवार्दी ने पेरिस कम्यून और अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद के गान ‘दि इंटरनैशनेल’ का अनुवाद किया।

क्या इंडोनेशियाई स्वतंत्रता की कल्पना देश के आरंभिक कम्युनिस्टों में एक टैन मलाका के विचारों और कार्यों के बग़ैर की जा सकती है?और क्या इंडोनेशियाई गणतंत्र के शुरुआती वर्षों के बारे में पहले राष्ट्रपति सुकर्णो की सोच को छोड़कर बात की जा सकती है, जिनके दर्शन में मार्क्सवाद, राष्ट्रीयता और इस्लाम एक साथ समाहित था? यह गंभीर चिंता का विषय है कि वर्तमान सरकार तानाशाही द्वारा की गई इतिहास की झूठी व्याख्या के समर्थन में इस समृद्ध विरासत को नकारने जा रही है। इस नयी आपराधिक आचार संहिता ने इंडोनेशिया की जनता को नियंत्रित करने के लिए देश के इतिहास से अपनी आंखें फेर ली है। यह नया क़ानून सिविल सोसायटी संगठनों और श्रमिक संघों के साथ-साथ स्वतंत्र प्रकाशकों और बौद्धिकों की आवाज़ दबाने में इस्तेमाल किया जाएगा।

वामपंथी प्रकाशकों का अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूएलपी) इंडोनेशियाई सरकार से मांग करता है कि वह इस संहिता पर पुनर्विचार करे और इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन सिविल ऐंड पॉलिटिकल राइट्स (1976) में उल्लिखित मौलिक अधिकार सुनिश्चित करे। इंडोनेशिया 2006 में इस कन्वेंशन में शामिल हुआ है।

13 दिसंबर, 2022

1804 Books (USA)
Batalla de Ideas (Argentina)
Chintha Publishers (India)
El Colectivo (Argentina)
EPO (België)
Expressão Popular (Brazil)
IDEA (Romania)
International Strategy Center (South Korea)
Kriya Madhyama (India)
LeftWord Books (India)
Liberation Books (USA)
Manifest Libres (Spain)
Naked Punch (Pakistan)
National Book Agency (India)
Vaam Prakashan (India)
Založba /*cf (Slovenia)