9789392017605
वाम प्रकाशन 2025
Language: Hindi
134 Pages
5.5 x 8.5 Inches
Price INR 250.0 Price USD 15.0
शैलेंद्र मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू का गीतकार था या ख़ुद सोंधी ख़ुशबू था? शैलेंद्र किसान-मज़दूर का गीतकार था या ख़ुद गीतों का किसान-मज़दूर था? शैलेंद्र के गीतों में आम आदमी की आवाज़ थी या वो ख़ुद आम आदमी था? शैलेंद्र शब्दों में सपने बेचता था या सपनों ने उसे बेच दिया था?
इन सवालों का जवाब जो भी हो, हर जवाब यही तय करेगा कि शैलेंद्र शब्दों का शिल्प जानता था, कविता की कला जानता था, भावनाओं के सागर की गहराई जानता था और लोगों के दिलों तक पहुंचने का रास्ता जानता था। ऐसे गीतकार को सिर्फ़ मन से नमन ही किया जा सकता है।
जयसिंह जी ने गीतकार शैलेंद्र का जीवन अपने नज़रिए से देखा है। इन्होंने शैलेंद्र नाम के व्यक्ति और गीतकार, दोनों तक पहुंचने की कोशिश की है। मैं पाठक को ये विश्वास दिलाता हूं कि गीतकारों की ज़िन्दगी मनोरंजक होती है, यक़ीन नहीं तो शैलेंद्र के बारे में पढ़कर देखिए।
— इरशाद कामिल (भूमिका से)