कँटीले तार की तरह

हिन्दी कविता में नये स्वर

Author by : Sanjay Kundan

वाम प्रकाशन 2021

Language: Hindi

149 Pages

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Price INR 250.0 Price USD 15.0

About the Book

##, ‘ये कविताएँ सामाजिक रूप से सजग हैं। विडंबनाओं, विषमताओं की सही पहचान करती हैं। उनकी लौकिकता दृष्‍टव्‍य है। वे अपना समय दर्ज करती हैं। सवाल करती हैं। कविता जिन सरोकारों से सामाजिक, नागरिक और अंतर्जगत का व्‍यक्तित्‍व बनती है, प्राय: वे इन कविताओं में जगह-जगह अभिव्‍यक्‍त हैं। ये किसान जीवन से लेकर नागर सभ्‍यता के नवीनतम संकटों को देखती हैं। लोकतांत्रिक, संवैधानिक अधिकारों, स्‍त्री अस्मिता के प्रश्‍न, समानता, प्रेम, स्‍वतंत्रता, सत्‍ता संरचनाओं की आलोचना के कार्यभार सहित सांप्रदायिकता एवं कविता की भूमिका की चिंताएँ इनमें व्‍याप्‍त हैं। अभिधा प्रधान है लेकिन कविताओं में वह ज़रूरी संदेह और आशा भी समाहित है जो कवियों की आगामी काव्‍ययात्रा के प्रति उत्‍सुक बना सकती है। निकट भविष्‍य में ये कवि अधिक परिपक्‍वता और अधिक संयत कहन, दृष्टिसंपन्‍न प्रतिबद्धता के साथ विकसित होंगे, इस आश्‍वस्ति के बीज भी यहीं बिखरे हुए हैं।’ – कुमार अम्बुज ##, ##, किताब की भूमिका कुमार अम्बुज ने लिखी है। किवाड़, क्रूरता, अनन्तिम, अतिक्रमण और अमीरी रेखा कुमार अम्बुज के कविता संग्रह हैं। इच्छाएँ उनका कहानी संग्रह है जबकि वैचारिक लेखों की दो पुस्तिकाएं—मनुष्य का अवकाश तथा क्षीण सम्भावना की कौंध भी प्रकाशित हैं। कविताओं के लिए उन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी का माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार, गिरिजाकुमार माथुर सम्मान, केदार सम्मान और वागीश्वरी पुरस्कार आदि प्राप्त हुए हैं।

Sanjay Kundan
1969 में पटना में जन्म। पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए। कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर, तनी हुई रस्सी पर उनके कविता संग्रह हैं, जबकि बॉस की पार्टी, श्यामलाल का अकेलापन कहानी संग्रह और टूटने के बाद तथा तीन ताल उपन्यास। कुछ लघु और नुक्कड़ नाटकों का भी लेखन। आवर हिस्ट्री, देयर हिस्ट्री, हूज हिस्ट्री (रोमिला थापर), एनिमल फार्म (जॉर्ज ऑरवेल), लेटर्स ऑन सेज़ां (रिल्के), पैशन इंडिया (जेवियर मोरो) और वॉशिंगटन बुलेट्स (विजय प्रशाद) का हिंदी में अनुवाद। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार और हेमंत स्मृति सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। वाम प्रकाशन में संपादक।

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