मंटो दस्तावेज़: खंड 1-5

9788126728756

Rajkamal Prakashan,

Language: Hindi

1995 pages

Price INR 3,000.00
Book Club Price INR 2,250.00
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LWB1508

समय के साथ कितनी ही हक़ीक़तें फ़रेब बन जाती हैं और कितने ही ख़्वाब सच्चाई में ढल जाते हैं—समय न तो अँधेरों की निरन्तरता है, न इतिहास और सभ्यता के किसी अनदेखे रास्ते पर एक अंधी दौड़।

इन सबके विपरीत समय एक तलाश है, बोध है, विज़न है और एक कर्मभूमि।

समय की कोई सीमा अगर क़ायम की जा सकती है, और अगर उसे एक नाम दिया जा सकता है तो वह नाम ‘आदमी’ है।

आदमी की बुनियादी समस्या पाषाण युग से मंटो और मंटो के पात्रों तक, एक ही रही है : कोई रौशनी, कोई रौशनी...

रौशनी के लिए, नई रौशनी की ख़ातिर, नित नई रौशनी की तलाश में आदमी ने सदियों का सफ़र तै किया और आज भी सफ़र में है। इसी निरन्तर और अधूरे सफ़र का एक पड़ाव मंटो है।

मंटो की तलाश और खोज के हवाले से इस कोशिश का मुनासिब और सटीक नाम ‘दस्तावेज़’ के अलावा सोचा भी नहीं जा सकता।

Saadat Hasan Manto

Saadat Hasan Manto (1912-1955) was among the greatest short story writers of the Indian subcontinent. He also wrote plays, and worked in the Bombay film industry as a writer before migrating to Pakistan after the Partition.