दलित दृष्टि

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भारतीय वामपंथियों ने सांस्कृतिक तथा प्रतीकात्मक मुद्दों पर समुचित ध्यान ही नहीं दिया है। कहा जा सकता है कि उन्होंने भारतीय संस्कृति के ब्राह्मणवाद के वर्चस्ववादी अर्थ तथा स्वरूप से आँखें चुराईं। दरअसल यह लड़ाई तो दलित जाति-विरोधी आन्दोलनों तथा कुछ हद तक हाल के दशकों के इतर सामाजिक आन्दोलनों ने लड़ी है। हिन्दू धर्म से मुठभेड़ के इस इतिहास से सीख लेने का समय आ गया है।

ओमवेट दिखाती हैं कि किस प्रकार दलित आन्दोलन के विभिन्न पक्षों ने दलितों पर अत्याचार-उत्पीड़न के निमित्त खड़ी की गयी संरचनाओं और दलित-उद्धार की आधारभूत शर्तों को देखने-परखने के नये मार्ग प्रशस्त किये हैं। जोतिबा फुले ने वर्ण व्यवस्था को हिन्दू धर्म की आत्मा के रूप में देखा। उत्पीड़न की जिस संस्कृति को यह धर्म पोषित करता है और जिस नृशंस दासता को यह स्वीकारता है, उन्होंने उसका पर्दाफाश करने का प्रयास किया।

इस पुस्तक में ओमवेट ने हिन्दू धर्म को पितृसत्तावादी विचारधारा क़रार दिया और ब्राह्मणवादी पाठ में निहित पारम्परिक नैतिकता पर सवाल खड़े किये। उन्होंने इन मूल-पाठों को स्त्री-उत्पीड़न तथा पुरुषसत्तावादी दबदबे की जड़ माना।

पुस्तक में ओमवेट की बहस दो स्तरों पर चलती है। पहले स्तर पर वे दलित आन्दोलन के विभिन्न चरणों, उन आन्दोलनों की आकांक्षाओं और आदर्शों, धर्म, संस्कृति और सत्ता के अन्तःसम्बन्ध, जाति, लिंग और वर्ग-उत्पीड़न के मध्य सम्बन्ध तथा भाषा और पहचान के सम्बन्धों के सन्दर्भ में दलितों की समझ की विवेचना करती हैं। दूसरे स्तर पर वे दलित उद्धार के विषय में अपना दृष्टिकोण सामने रखती हैं। विभिन्न दलित विचारधाराओं की चर्चा में लेखिका की आवाज़ को सुना जा सकता है।

यह पुस्तक मान्यताओं और वर्गों(में बँटवारे) को, जिन्हें हम बिना जाँचे-परखे सही मान लेते हैं, चुनौती देगी। यह हमें इतिहास की अपनी समझ पर पुनर्विचार करने का आग्रह करेगी। साथ ही जिन आवाज़ों को हम सुनने से मना कर देते हैं, या जिन दृष्टिकोणों ने दलितोंकी दुनिया को बदलने का प्रयास किया है, उन्हें समझने को यह पुस्तक हमें तैयार करेगी।

Gail Omvedt

Gail Omvedt (born 2 August 1941) is an American-born Indian scholar who has written extensively on caste and Dalit politics. She is the author of Dalits and the Democratic Revolution (1994), Buddhism in India: Challenging Brahmanism and Caste (2003) and Ambedkar: Towards an Enlightened India (2004), among other books.


Ramnika Gupta

Ramnika Gupta is founder and President of Ramnika Foundation, member of the CPI(M), a tribal rights champion, former trade union leader, politician, writer and editor. She is the coordinator of the All India Tribal Literary forum. She was a Member of the Bihar Legislative Assembly from 1979–1985.