आगे और लड़ाई है
‘प्रबीर एक अद्वितीय और प्रतिबद्ध इंसान हैं’ — एडमिरल रामदास (पूर्व नौसेना प्रमुख)
‘प्रबीर पुरकायस्थ का संस्मरण वर्तमान पर सार्थक टिप्पणियों के साथ अतीत को याद करता है। आशा है, वह स्वतंत्र होंगे और भविष्य को लेकर अपना नज़रिया पेश करेंगे।’ — रोमिला थापर
25 सितम्बर, 1975 — नयी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्र संघ की निर्वाचित काउंसलर अशोकलता जैन के निलंबन के ख़िलाफ़ हड़ताल का आह्वान किया था। उसके तीन महीने पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। यह हड़ताल का दूसरा दिन था और कैंपस में तनाव का माहौल था। छात्रों के एक समूह के पास एक काली एम्बेसडर कार आकर रुकी, जिसमें से सादे कपड़े में कुछ पुलिसकर्मी उतरे और एक छात्र को उठा ले गए। वह छात्र अगले एक साल तक जेल में रहा।
9 फ़रवरी, 2021 — प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने एक ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक के घर पर छापा मारा। छापेमारी पांच दिनों तक क़रीब 113 घंटे चली। न्यूज़ पोर्टल के दफ़्तर पर भी छापेमारी हुई।
3 अक्टूबर, 2023 — दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों ने न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक और उनके साथी को ख़तरनाक ‘ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम’ (यूएपीए) के तहत हिरासत में लिया।
आगे और लड़ाई है प्रबीर पुरकायस्थ की कहानी है, जो आधी सदी के अंतर पर दो निरंकुश सरकारों द्वारा क़ैद किए गए। यह व्यंग्य-विनोद की शैली में कही गई एक युवा के राजनीतिक विकास की भी कहानी है, जिसमें पिछले दशकों के भारत के ज़रूरी सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को समेटा गया है।