ज़ीरो माइल पटना
ज़ीरो माइल एक ऐसी सीरीज़ है, जो हमारे चिर-परिचित शहरों को एक नयी नज़र से देखती है। इस सीरीज़ की हर किताब एक ऐसे जाने-माने लेखक की क़लम की देन है, जो उस शहर से गहरा लगाव रखते हैं, लेकिन शहर के विभिन्न पहलुओं का तटस्थ होकर विश्लेषण भी करते हैं। उन्होंने शहर के बाहर रहते हुए शहर को लेकर जो कुछ महसूस किया, उसे भी साझा किया है।
इसकी पहली कड़ी के रूप में पटना शहर पर यह किताब प्रस्तुत है। इसमें कवि-कथाकार संजय कुंदन ने शहर के बुनियादी चरित्र को पहचानने की कोशिश करते हुए इसके जनजीवन की एक झाँकी पेश की है। उन्होंने शहर में आ रहे बदलावों को रेखांकित किया है और इसकी कुछ स्थायी समस्याओं की चर्चा भी की है।
यह न तो शहर का इतिहास है, न संस्मरण, न ही समाजशास्त्रीय विवेचन, लेकिन इसमें इन तीनों की ताक़त और रोचकता समाहित है। ज़ीरो माइल पटना उस शहर को लिखा एक प्रेम पत्र है – और हर प्रेम पत्र की तरह इसमें प्यार भी है, शिकायत भी, दुलार भी है, अनबन भी।