वाम दलों की राजनितिक जड़ता
यह पुस्तक वाम दलों की राजनितिक कार्यवाइयों के जमीनी अध्ययन का उत्पाद है! इसमें वर्णित कथन तथा उदाहरणों की सच्चाई के लिए इस कृति को सम्पूर्णता में देखना ज़रूरी है! यह पुस्तक राजनितिक जड़ता की पृष्ठभूमि की चर्चा करने का एक प्रयास करती है क्योंकि इसकी अनदेखी होने पर ये जड़ता धूमिल हो सकती है! वर्तमान में अधिकार और कर्तव्य की सूत्रवत राजनीती को आत्मसात करने से वाम राजनीती में मानवीय संवेदना और सामाजिक चेतना का शास्त्रीय मूल्य दब गया है, इसलिए पुस्तक में राजनितिक संकल्प के प्रति अचेतनीकरण की स्तिथि को स्पष्ट किया गया है! इसकी अवहेलना के कारन पूंजीवादी राजनीती के माध्यम से सम्वेदनाहरण की प्रक्रिया जारी है! फिर भी वाम राजनीती में सामाजिक तयारी सम्बन्धी समाजशास्त्रीय पहलु को राजनितिक मसला नहीं बनाया जा रहा है, जबकि अर्थशास्त्र के पूंजीवादी मूल्यों के आधार पर समाजशास्त्रीय मूल्यों के सीमांकन की क्रिया जारी है!
वाम दाल आजकल विकल्प की राजनीती करने की जगह तर्कहीन समावेशी समझौता करने को मजबूर हो गए हैं, जिसके कारन व्यवस्था परिवर्तन सम्बन्धी संक्रमण की राजनीति के मूल्य आधारहीन हो गए हैं! यह वाम दलों की राजनितिक जड़ता का प्रतिफल है!