वैकल्पिक विन्यास
आधुनिक हिन्दी रंगमंच और हबीब तनवीर के रंग-कर्म पर अमितेश कुमार का यह लेखन बहुत ही प्रशंसनीय है, क्योंकि बहुत गहराई और जाँच में जाकर उन्होंने आधुनिक हिन्दी रंगमंच को जानने की कोशिश की है। आधुनिक हिन्दी रंगमंच से सम्बन्धित हमारे पास बहुत-सी किताबें हैं, लेकिन इस किताब में जिस तरह से बहुत सारे पहलुओं को समेटा गया है, वह अन्यत्र नहीं है।
हिन्दी रंगमंच कहने से हिन्दी रंगमंच का सम्पूर्ण आकार सामने नहीं आता है, लेकिन हिन्दी रंगमंच को जब हम क्षेत्रीय रंगमंच के साथ जोड़ते हैं, तब जाकर उसके आकार में सम्पूर्णता आ जाती है और जिसका संग्रह अमितेश ने बहुत बेहतर ढंग से किया है। यहाँ ऐतिहासिक रूप से भी, भौगोलिक रूप से भी और समाज- वैज्ञानिक परिस्थितियों के विश्लेषण से भी कई चीज़ें उभरकर आयी हैं। इस किताब के दायरे में भारतीय रंगमंच है। संस्कृत रंगमंच तो है ही, साथ में पारसी रंगमंच को भी जोड़ा गया है। यह एक बेहतरीन किताब साबित होगी, ऐसी मुझे उम्मीद है।
– रतन थियाम