तख़्तापलट
‘अपने हीरो एदुआर्दो गालेआनो की तरह विजय प्रशाद ने सच के बयान को भी मनभावन बना दिया है। यह काम आसान नहीं है पर वे उसे सहजता से कर ले जाते हैं।’ – रोजर वॉटर्स, पिंक फ्लॉयड
‘इस किताब को पढ़ते हुए अमेरिकी दादागिरी द्वारा उम्मीदों पर कुठाराघात की अनगिनत घटनाएं दिमाग में कौंध जाती हैं।’ – इवो मोरालेस आइमा, बोलीविया के पूर्व राष्ट्रपति
तख़्तापलट मार्क्सवादी पत्रकारिता और इतिहास लेखन की शानदार परंपरा में लिखी गई है। इसमें बेहद पठनीय और सहज कहानियां हैं, जो अमेरिकी साम्राज्यवाद के बारे में खुलकर बताती हैं लेकिन व्यापक राजनीतिक मुद्दों के बारीक पहलुओं को भी छोड़ती नहीं। वैसे एक तरह से यह किताब निराशा से भरी है और महान लक्ष्यों की पराजय का शोकगीत प्रस्तुत करती है। इसमें आपको कसाई मिलेंगे और भाड़े के हत्यारे भी। इसमें जनांदोलनों और लोकप्रिय सरकारों के ख़िलाफ़ साज़िश रचे जाने तथा तीसरी दुनिया के समाजवादियों, मार्क्सवादियों और कम्युनिस्टों की उस देश द्वारा हत्या करवाए जाने के वृत्तांत हैं, जहां स्वतंत्रता महज एक मूर्ति है।
लेकिन इन सबके बावजूद तख़्तापलट संभावनाओं, उम्मीदों और सच्चे नायकों की किताब है। इनमें से एक हैं बुरकीना फासो के थॉमस संकारा, जिनकी हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा था, ‘अगर आप बुनियादी बदलाव लाना चाहते हैं तो उसके लिए एक हद तक पागलपन की ज़रूरत है। इस मामले में यह नाफ़रमानी से आता है, पुराने सूत्रों को धता बताने और नए भविष्य के निर्माण के साहस से आता है। ऐसे ही पागल लोगों ने हमें वह नज़रिया दिया है, जिससे हम आज पूरे सूझबूझ के साथ काम कर रहे हैं। आज हमें वैसे ही दीवानों की ज़रूरत है। हमें भविष्य के निर्माण का साहस दिखाना होगा।’ तख़्तापलट कुछ ऐसे ही पागलपन और भविष्य रचने के साहस से भरी एक किताब है।
Reviews
यह किताब बताती है कि अमेरिका ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए किस तरह के हथकंडे अपनाये और उसकी करतूतों का विश्व पर क्या असर पड़ा। इसके लिए देशों में सैन्य विद्रोह करवाये गये। तमाम जन नेताओं की हत्या हुई, सरकारों को आईएमएफ और विश्व बैंक से ज़रिये घेरकर आर्थिक रूप से पंगु बनाया गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय, सीआईए और संबद्ध देशों का दूतावास इस घिनौनी कार्रवाई में लगा रहता था।
 , इंद्रधनुष
यह किताब एक तरह से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का संक्षिप्त विश्व इतिहास है, जो किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं है। इसमें सबसे बड़ा अपराधी है अमेरिका, जिसने दुनिया भर में अपना वर्चस्व कायम करने और अपनी अथाह ताक़त का प्रदर्शन करने के लिए अनेक देशों में तख़्तापलट करवाए और अपनी कठपुतली सरकाई बिठाई, जिसने वॉशिंगटन के इशारे पर काम करने वाले विश्व बैंक और आईएमएफ के अजेंडे को अपने देश में लागू किया और अपने ही मुल्क के संसाधनों का दोहन साम्राज्यवादी हितों के लिए होने दिया।
 , इंडिया इनसाइड