सूफ़ीवाद कुछ महत्त्वपूर्ण लेख
सूफ़ीवाद का इतिहास लगभग चौदह सौ वर्ष पुराना है। हालांकि भारत में आठवीं शताब्दी से सूफ़ियों की उपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं, किंतु बारहवीं शताब्दी में तुर्की विजय के पश्चात् बड़ी संख्या में सूफ़ी भारत आए। धीरे-धीरे वह उपमहाद्वीप के कोने-कोने में फैल गए। उन्होंने भारतीय समाज को विशेष रूप से अपनी जीवन शैली और शिक्षाओं से प्रभावित किया। अनेक भारतीय सूफ़ी लोगों की स्मृति में जीवित रहे। आज भी उनके मकबरे उनकी उपस्थिति के प्रतीक के रूप में खड़े हैं जो हमें यह याद दिलाते रहते हैं कि बीता हुआ काल उतना ही सत्य था जितना वर्तमान है।
सूफ़ीवाद: कुछ महत्त्वपूर्ण लेख में सूफ़ीवाद की उत्पत्ति कैसे हुई, इसके प्रारंभिक समर्थक कौन थे, इसके मूल सिद्धांत और शिक्षाएं क्या थीं - इन विषयों का संक्षिप्त विवरण शामिल किया गया है। इसमें उन सूफियों के जीवन और शिक्षाओं का वर्णन किया गया है जो मुसलमानों की विजय के बाद सिंध और पंजाब में आए। पुस्तक में सूफ़ीवाद की उत्पत्ति से लेकर पंद्रहवीं शताब्दी तक चिश्ती संप्रदाय का इतिहास दिया गया है और सोलहवीं शताब्दी में उत्तरी भारत में चिश्ती संप्रदाय के पुनरुत्थान की प्रक्रिया का वर्णन उपलब्ध है। इसके साथ ही, दो शताब्दियों में इसके प्रमुख प्रतिपादकों के जीवन और काल का संक्षिप्त उल्लेख किया गया है। भारत में शत्तारी पंथ के सबसे प्रसिद्ध प्रतिपादकों में से एक, मुहम्मद गौस शत्तारी ग्वालियरी के जीवन और कार्यों को दर्शाया गया है। यह पुस्तक भारत के महानतम नक्शबंदी संत, शेख अहमद सरहिंदी की धार्मिक और राजनीतिक विचारधारा की व्याख्या करती है।