सुभाषचन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज
सुभाषचन्द्र बोस के जीवन की तमाम गुत्थियों एवं मनोभावों को उजागर करती हुई यह पुस्तक भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी कहती है। जीवन के प्रति आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लेकर सामाजिक एवं राजनैतिक समीकरणों तक सुभाष सदैव वैज्ञानिक एवं तार्किक फलसफे के हामी रहे। समाजवाद के पक्षधर सुभाष का आई.सी.एस. के लिए ब्रिटेन जाने से लेकर आजाद हिन्द फौज का नेतृत्व करने तक एकमात्र सपना था- आज़ाद भारत। इसके लिए उन्होंने छोटी से छोटी सभी सुख-सुविधाओं का परित्याग किया। कठिन एवं चुनौती भरे रास्तों को उन्होंने अख्तियार किया। ग़रीबी और सेवा का व्रत लेते हुए मातृभूमि की सेवा करना अपना परम लक्ष्य बनाया। यह पुस्तक उन सभी ऐतिहासिक एवं प्रामाणिक साक्ष्यों को प्रस्तुत करती है जिनसे सुभाषचन्द्र बोस नेताजी सुभाष बने।
महात्मा गांधी ने सुभाष को 'देशभक्तों का देशभक्त' कहा जिसके पीछे गांधीजी का सुभाष की नेतृत्वकारी क्षमता एवं देश के प्रति अटूट भावना का लोहा मानना रहा। आज़ाद हिन्द फौज में सांप्रदायिक सद्भाव को प्रस्तुत करता उनका नारा आज देश का नारा बन चुका है
जय हिन्द।
यह पुस्तक सुभाषचन्द्र बोस के जीवन के अनेक अनसुलझे पहलुओं को सुलझाती है। उनके विवाह एवं मृत्यु संबंधी फैली तमाम भ्रांतियों को रेखांकित करते हुए असलियत प्रस्तुत करती है। यह एक अनूठा प्रयास है नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं प्रामाणिकता को लेकर इस तरह की किसी भी पुस्तक का अभाव रहा है। निःसंदेह यह पुस्तक उसकी भरपाई करती है और सुभाषचन्द्र बोस के जीवन-दर्शन एवं संघर्ष को समझने में मदद करती है।