स्त्रियों को गुलाम क्यों बनाया गया

978-93-95160-30-8

Setu Prakashan, 2023

Language: Hindi

152 pages

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LWB1496

इस पुस्तक में जिन मुद्दों पर विचार किया गया है, वे सामाजिक अवरोधकों, पुण्य-शीलता, रूढ़िवादी रीति-रिवाजों, धर्मादेशों, पवित्र धर्मग्रन्थों में दर्ज आचार-संहिताओं तथा इनके प्रभाव से अभी तक निर्मित जनभावनाओं और तत्सम्बन्धी तथ्यों का जमकर विरोध करते हैं।

Periyar E.V. Ramasamy

ई.वी. रामासामी नायकर 'पेरियार' (17 सितम्बर, 1879—24 दिसम्बर, 1973) बीसवीं शताब्दी के महानतम चिन्तकों और विचारकों में से एक हैं। उन्हें वाल्तेयर की श्रेणी का दार्शनिक, चिन्तक, लेखक और वक्ता माना जाता है। 'भारतीय समाज और भारतीय व्यक्ति का मुकम्मल आधुनिकीकरण जिन भारतीय चिन्तकों एवं विचारकों के विचारों के आधार पर किया जा सकता है, उसमें वे अग्रणी हैं। पेरियार एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने उन सभी बिन्दुओं को चिह्नित और रेखांकित किया है, जिनका ख़ात्मा भारतीय समाज और व्यक्ति के आधुनिकीकरण के लिए अनिवार्य है।

उनकी विशिष्ट तर्क-पद्धति, तेवर और अभिव्यक्ति-शैली के चलते जून 1970 में यूनेस्को ने उन्हें ‘आधुनिक युग का मसीहा’, ‘दक्षिण-पूर्वी एशिया का सुकरात’, ‘समाज सुधारवादी आन्दोलनों का पितामह’ तथा ‘अज्ञानता, अन्धविश्वास, रूढ़िवाद और निरर्थक रीति-रिवाजों का कट्टर दुश्मन’ स्वीकार किया।