Satya Sodhak
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सोचिए विचारक के रूप में सावरकर को फुले से अधिक जाना जाता है । मेरा सोचना है कि अब वक्त आ गया है कि उपेक्षा की इन ग़लतियों को दुरुस्त किया जाए । मैं कोई अध्येता नहीं हूं । शायद इसलिए मैंने ये सोचा कि अपनी क्षमता के अनुरूप परिस्थिति को सुधारने के लिए कुछ करूं । किंतु नेक इरादे अक्सर इरादे ही रह जाते हैं । शायद इस मामले में भी ऐसा ही होता । किंतु एक मौका मेरे हाथ तब लगा जब श्याम बेनेगल ने टेलीविज़न के धारावाहिक ' डिस्कवरी ऑफ इंडिया ' के लिए फुले पर एक एपिसोड लिखने के लिए मुझे कहा । मैंने वो किया । इस प्रक्रिया में मेरे पास फुले पर बहुत सी सामग्री इकट्ठा हो गई । जो ये मांग कर रही थी कि इसका विस्तार से इस्तेमाल हो ।