पेरियार
दर्शन-चिंतन और सच्ची रामायण
लंबे समय से हिंदी पाठकों को एक ऐसे मुकम्मल किताब की जरूरत महसूस हो रही थी, जो पेरियार के विचारों के विविध आयामों से उन्हें परिचित करा सके। फारवर्ड प्रेस द्वारा इस किताब का प्रकाशन इसी जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया है। हमने पेरियार के विविध लेखों और सच्ची रामायण का ऐसे अनुवाद कराने की कोशिश की है, जो सटीक तो हो, लेकिन साथ ही सहज, सरल, सुपाठ्य और पूरी तरह संप्रेषणीय हो। पेरियार मानव जाति के लिए कैसी दुनिया की कल्पना करते हैं, इसकी विस्तृत रूपरेखा उन्होंने ‘भविष्य की दुनिया’ शीर्षक लेख में प्रस्तुत किया है, यह लेख इस किताब का पहला लेख है। पेरियार के चिंतन का दायरा अत्यन्त व्यापक है। विभिन्न विषयों पर पेरियार के उद्धरणों को ‘सुनहरे बोल’ शीर्षक के तहत प्रस्तुत किया गया है। इन उद्धरणों के माध्यम उनके प्रतिनिधि विचारों से पाठक का पूरी तरह परिचय हो जायेगा। पेरियार ब्राह्मणवादी धर्म-ग्रंथों की विस्तृत व्याख्या की है। इन धर्मग्रंथों के बारे उनकी क्या राय है, इस संबंधित लेख ‘ब्राह्मणवादी धर्मग्रंथों में क्या है’ शीर्षक से प्रस्तुत किया गया है। 'सच्ची रामायण’ पेरियार की बहुचर्चित एवं सबसे विवादास्पद कृति रही है। पेरियार की नजर में रामायण एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक राजनीतिक ग्रंथ है। जिसकी रचना का मूल उद्देश्य अनार्यों पर आर्यों, बहुजनों पर द्विजों और महिलाओं पर पुरूष के वर्चस्व को स्वीकृति प्रदान करना है। इस किताब में पेरियार की सच्ची रामायण का सटीक, सुपाठ्य, संप्रेषणीय और अविकल अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही सच्ची रामायण के बारे में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को भी किताब के परिशिष्ट में जगह दी गई है।