मिथकों से विज्ञान तक/Mythakon Se Vigyan Tak

ब्रह्मांड के विकास की बदलती कहानी

9780143470410

Penguin Random House,

Language: Hindi

208 pages

Price INR 299.00
Book Club Price INR 240.00
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9780143470410

मानव ने सवाल पूछना और जवाब ढूँढ़ना कब शुरू किया पता नहीं, पर एक बार शुरू किया तो सवालों और जवाबों का सिलसिला कभी नहीं रुका। इन्हीं सवालों और जवाबों की तलाश ने मानव ज्ञान की हर शाख़ को जन्म दिया। मिथक, कहानियाँ, धर्म, दर्शन, अध्यात्म, दर्शन, विज्ञान—प्रश्नों के उत्तर की तलाश का ही नतीजा हैं। सवालों की इस भीड़ में दो बड़े सवाल थे : ब्रह्मांड की उत्पत्ति और जीव-जंतु और मानव की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई। इतिहास हमें ये बताता है की कैसे और क्यों पूछने में एक बुनियादी अंतर है। कैसे से शुरू होने वाले सवाल हमें विज्ञान की तरफ ले जाते हैं और क्यों से शुरू होने वाले सवालों की तलाश हमें अध्यात्म और धर्म की तरफ। यह किताब ब्रह्मांड और जीवन के विकास की बदलती कहानी के उदाहरण को दर्शाती हुई ‘विज्ञान’ की परिभाषा चिह्नित करने की एक कोशिश है। इतिहास के पन्ने पलटते हुए यह किताब बताती है कि विज्ञान को, अध्यात्म और धार्मिक ज्ञान को छुए बिना, और इनके बीच लकीर खींचे बिना, पारभाषित नहीं किया जा सकता। विज्ञान और धार्मिक ज्ञान में कई बुनियादी तरह के फ़र्क़ में से एक अहम फ़र्क़ ये है कि विज्ञान में पुराने सच को ग़लत साबित करने पर जश्न मनाया जाता है और धर्म में हमेशा के सच पर उंगली उठाने से संकट पैदा हो जाता है।