मृत्यु-कथा
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मृत्यु-कथा - पिछले एक दशक से आशुतोष भारद्वाज माओवादियों और भारतीय सत्ता के बीच चल रहे गृह-युद्ध व इसके शिकार हुए आदिवासियों पर लिख रहे हैं। मृत्यु-कथा इस संग्राम के योद्धा और साक्षी बने इन्सानों की गाथा है। अनेक स्वरों में ख़ुद को कहती यह किताब दण्डकारण्य की जीवनी भी है, जो पत्रकारिता का अनुशासन, डायरी की आत्मीयता, निबन्ध की वैचारिकता और औपन्यासिक आख्यान की कला को एक साथ साधना चाहती है । माओवादी क्रान्ति के आईने से यह किताब हिंसा और फरेब, पाप और पुनरुत्थान के प्रत्यय पर चिन्तन करती है- साथ ही बतलाती है कि रणभूमि का जीवन और लेखन मनुष्य को किस क़दर भस्म करता है। देश के श्रेष्ठतम लेखकों और आलोचकों द्वारा प्रशंसित यह किताब अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी है। इसके अन्तरराष्ट्रीय संस्करण जल्द प्रकाशित हो रहे हैं।