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इंसाफ़ के दरवाज़े पर तमिलनाडु की महिलाओं की दस्तक
Translated by Bhuvendra Tyagi
Introduction by Githa Hariharan
यह किताब कुछ बहादुर महिलाओं के बारे में है।
बहादुर इसलिए कि हमारे देश में किसी व्यक्ति का अदालत जाना ही कठिन है, महिलाओं के लिए तो यह और भी मुश्किल है क्योंकि उन्हें परिवार से इसके लिए आर्थिक और भावनात्मक सहयोग नहीं मिलता। सामाजिक परंपराएं और महिलाओं की सामाजिक स्थिति भी इसके अनुकूल नहीं है। वर्तमान न्यायिक तंत्र से भी उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता। यह एक ऐसी किताब है, जो हर महिला और लिंग आधारित भेदभाव से घृणा करने वाले व्यक्ति से शिद्दत से बतियाती है।
जस्टिस के. चंद्रू एक वकील और मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व जज हैं। जज के रूप में उन्होंने क़रीब 96 हजार मामलों की सुनवाई की जो एक रेकॉर्ड है। चर्चित तमिल फिल्म जय भीम (निर्देशक टीजे ज्ञानवेल) 1993 के उस केस पर आधारित है, जिससे जस्टिस चंद्रू वकील के रूप में जुड़े थे। फिल्म में उनकी भूमिका तमिल सुपरस्टार सूर्या ने निभाई थी। जस्टिस चंद्रू तमिल और अंग्रेजी में लिखते हैं।