कुछ और अलगू, कुछ और जुम्मन

प्रेमचंद की साम्प्रदायिकता विरोधी कहानियां

Premchand

Edited by Sanjay Kundan

978-93-92017-12-4

वाम प्रकाशन, New Delhi, 2023

Language: Hindi

163 pages

5.5 x 8.5 inches

Price $13.00
Book Club Price $11.00
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LWB1446

ऐसे समय जब कहा जा रहा है कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग संसार हैं, ये कहानियां बताती हैं कि दोनों एक ही मिट्टी में पले-बढ़े हैं और एक-दूसरे में घुले-मिले हैं। आज जब इस्लाम को कट्टर और बर्बर साबित करने का अभियान चल पड़ा है, ये मुस्लिम नायकों की उदारता, क्षमाशीलता और विनयशीलता को सामने लाती हैं। इस संकलन में प्रेमचंद की कुछ बेहद चर्चित और कुछ ऐसी कहानियां भी हैं, जिन पर अब तक कम ध्यान गया है। इनके हिंदू-मुसलमान पात्रों के सुख-दुख समान हैं, उनके सरोकार एक हैं। वे एक सामान्य नागरिक की तरह रोजमर्रा की ज़िंदगी की मुश्किलें झेलते हैं। लेकिन सियासी स्वार्थ के लिए जब उनके मन-मस्तिष्क में सांप्रदायिकता का ज़हर भरा जाता है, तब वे आपस में लड़ने-भिड़ने भी लगते हैं पर आख़िरकार उन्हें इसकी व्यर्थता का अहसास होता है। ये मनुष्यता को प्रतिष्ठित करने वाली कहानियां हैं।

Premchand

प्रेमचंद (31 जुलाई 1880–8 अक्टूबर 1936) हिंदी-उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय कहानीकार, उपन्यासकार और विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, ग़बन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा पूस की रात, कफ़न, ठाकुर का कुआँ, पंच परमेश्वर और बड़े घर की बेटी जैसी क़रीब तीन सौ कहानियाँ लिखीं। उनके तीन नाटक हैं – कर्बला, संग्राम और प्रेम की वेदी। उन्होंने अपने समय की प्रमुख पत्रिकाओं में सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर अनेक लेख लिखे और हिंदी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन-प्रकाशन किया।


Sanjay Kundan

कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर और तनी हुई रस्सी पर संजय कुंदन के कविता संग्रह हैं। बॉस की पार्टी और श्यामलाल का अकेलापन उनके कहानी संग्रह हैं जबकि टूटने के बाद और तीन ताल उनके उपन्यास। उन्हें भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, विद्यापति पुरस्कार और बनारसी प्रसाद भोजपुरी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने जॉर्ज ऑरवेल की एनिमल फार्म, रिल्के की लेटर्स ऑन सेज़ां और विजय प्रशाद की वॉशिंगटन बुलेट्स का हिंदी में अनुवाद किया है।