कितने यातना शिविर

समाज के हाशिये की कहानियाँ

Edited by Sanjay Kundan

978-93-92017-03-2

वाम प्रकाशन, New delhi, 2021

Language: Hindi

140 pages

5.5 x 8.5 inches

Price INR 250.00
Book Club Price INR 175.00
INR 250.00
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LWB1180

समाज के कमज़ोर व्यक्ति के संघर्ष का चित्रण करती मार्मिक कहानियाँ।
क़ब्र की ज़मीन (जसिंता केरकेट्टा) में जब एक आदिवासी युवती के बच्चे के क्रिया-कर्म की बारी आती है, तो धर्म के ठेकेदार उठ खड़े होते हैं . . .
गुलाबी राशन कार्ड (वन्दना शुक्ल) में ग़रीब आदिवासियों के एक गाँव में एक दिन घोषणा होती है कि उन सबको मकान दिया जायेगा। उनके सपने पंख फड़फड़ाने लगते हैं। लेकिन पता चलता है कि मकान बनाने की परियोजना पर रोक लग गयी है। उसके बाद जो होता है, उसे देख सत्ताधारियों के होश उड़ जाते हैं . . .
कोयला चोर (नीरज नीर) में एक नौजवान अपनी पत्नी के कहने पर अन्य कई दोस्तों की तरह एक बेकार पड़े खदान से कोयला निकालकर उसे बेचने के अवैध धंधे में शामिल होता है, मगर . . .
मीना बाज़ार (वैभव सिंह) एक अधेड़ सेल्समैन पर है, जो साड़ी के एक शोरूम में काम करता है। शोरूम के बूढ़े मालिक की मौत के बाद उसका लड़का सीसीटीवी कैमरा लगवा देता है। यह कैमरा, सेल्समैन की ज़िन्दगी में तूफान मचा देता है . . .
ग्यारह उदीयमान कथाकार – जसिंता केरकेट्टा, कमलेश, वन्दना शुक्ल, नीरज नीर, वैभव सिंह, हरि मृदुल, यूसुफ किरमानी, आलोक कुमार मिश्रा, विजय कुमार तिवारी, डॉ. आयशा आरफ़ीन, राम नगीना मौर्य – जिनकी कहानियों का चयन किया है कवि, कथाकार, नाटककार और अनुवादक संजय कुंदन ने।

Sanjay Kundan

कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर और तनी हुई रस्सी पर संजय कुंदन के कविता संग्रह हैं। बॉस की पार्टी और श्यामलाल का अकेलापन उनके कहानी संग्रह हैं जबकि टूटने के बाद और तीन ताल उनके उपन्यास। उन्हें भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, विद्यापति पुरस्कार और बनारसी प्रसाद भोजपुरी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने जॉर्ज ऑरवेल की एनिमल फार्म, रिल्के की लेटर्स ऑन सेज़ां और विजय प्रशाद की वॉशिंगटन बुलेट्स का हिंदी में अनुवाद किया है।