हमारा इतिहास, उनका इतिहास, किसका इतिहास?
आख़िर इतिहास क्या होता है?
इतिहास ना तो तारीख़ों का एक संग्रह मात्र है, ना ही इसका मकसद बस कहानी सुनाना है। धर्म और राष्ट्रवाद दोनों का इतिहास पर गहरा असर होता है, लेकिन केवल इसी परिप्रेक्ष्य से इतिहास की पड़ताल करना दरअसल इतिहास को विकृत करना है।
इस किताब में इतिहासकार रोमिला थापर विभिन्न राष्ट्रवादों के जटिल संसार और इतिहास पर उनके प्रभाव का गहराई से विश्लेषण करती हैं।
राष्ट्रवाद विभिन्न आख्यानों को जन्म देता है। ये आख्यान समुदायों को वंशावली प्रदान करते हैं और समाजों की दिशा निर्धारित करते हैं। आज एक राष्ट्रवादी सिद्धांत सदियों के ‘कुशासन’ के दौरान एक धार्मिक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के उत्पीड़न की बात कर रहा है। रोमिला थापर संस्कृतियों के अंतर्संबंध और मिश्रण के कई ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने के प्रयासों की आलोचना करती हैं। एनसीईआरटी की भारतीय इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के कई हिस्सों को हटाए जाने की चर्चा करते हुए वह कहती हैं कि इसके पीछे सत्ता की विचारधारा के अनुरूप इतिहास के अध्ययन को बढ़ावा देने की मंशा ज़्यादा है।
यह दिलचस्प और विचारोत्तेजक पुस्तक कुछ मूलभूत सवाल उठाने के लिए प्रेरित करती है।