हमारा इतिहास, उनका इतिहास, किसका इतिहास?

978-93-92017-78-0

वाम प्रकाशन, New Delhi, 2024

Language: Hindi

144 pages

5.5 x 8.5 inches

Price INR 250.00
Book Club Price INR 175.00
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LWB1629

आख़िर इतिहास क्या होता है?

इतिहास ना तो तारीख़ों का एक संग्रह मात्र है, ना ही इसका मकसद बस कहानी सुनाना है। धर्म और राष्ट्रवाद दोनों का इतिहास पर गहरा असर होता है, लेकिन केवल इसी परिप्रेक्ष्य से इतिहास की पड़ताल करना दरअसल इतिहास को विकृत करना है।

इस किताब में इतिहासकार रोमिला थापर विभिन्न राष्ट्रवादों के जटिल संसार और इतिहास पर उनके प्रभाव का गहराई से विश्लेषण करती हैं।

राष्ट्रवाद विभिन्न आख्यानों को जन्म देता है। ये आख्यान समुदायों को वंशावली प्रदान करते हैं और समाजों की दिशा निर्धारित करते हैं। आज एक राष्ट्रवादी सिद्धांत सदियों के ‘कुशासन’ के दौरान एक धार्मिक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के उत्पीड़न की बात कर रहा है। रोमिला थापर संस्कृतियों के अंतर्संबंध और मिश्रण के कई ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने के प्रयासों की आलोचना करती हैं। एनसीईआरटी की भारतीय इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के कई हिस्सों को हटाए जाने की चर्चा करते हुए वह कहती हैं कि इसके पीछे सत्ता की विचारधारा के अनुरूप इतिहास के अध्ययन को बढ़ावा देने की मंशा ज़्यादा है।

यह दिलचस्प और विचारोत्तेजक पुस्तक कुछ मूलभूत सवाल उठाने के लिए प्रेरित करती है।

Romila Thapar

Romila Thapar (born 30 November 1931) is a distinguished Indian historian whose principal area of study is ancient India. She is the author of numerous substantial books including the popular classic, A History of India, and is currently Professor Emerita at Jawaharlal Nehru University(JNU) in New Delhi.

After graduating from Panjab University, Thapar earned her doctorate under A.L. Basham at the School of Oriental and African Studies, the University of London in 1958. She was a reader in Ancient Indian History at Kurukshetra University between 1961 and 1962 and held the same position at Delhi University between 1963 and 1970. Later, she worked as Professor of Ancient Indian History at the Jawaharlal Nehru University, New Delhi, where she is now Professor Emerita.

Thapar's major works are Asoka and the Decline of the Mauryas, Ancient Indian Social History: Some Interpretations, Recent Perspectives of Early Indian History (ed.), A History of India Volume One, and Early India: From the Origins to AD 1300.


Sanjay Kundan

कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर और तनी हुई रस्सी पर संजय कुंदन के कविता संग्रह हैं। बॉस की पार्टी और श्यामलाल का अकेलापन उनके कहानी संग्रह हैं जबकि टूटने के बाद और तीन ताल उनके उपन्यास। उन्हें भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, विद्यापति पुरस्कार और बनारसी प्रसाद भोजपुरी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने जॉर्ज ऑरवेल की एनिमल फार्म, रिल्के की लेटर्स ऑन सेज़ां और विजय प्रशाद की वॉशिंगटन बुलेट्स का हिंदी में अनुवाद किया है।