एक और टोबा टेक सिंह
दस प्रतिनिधि कहानियाँ
दिसंबर 2018 के अंतिम सप्ताह में लाहौर जाने का मौका मिला! यूँ तो खीचावपूर्ण संबंधों के कारन वीजा मुश्किल से ही मिलता है! परन्तु अपने भाई जैसे दोस्त डॉ. तनवीर गोंदल को कैंसर होने के कारन मन मिलने को बैचैन था! कुछ दोस्तों की मेहरबानी से एक विशेष वीजा मिल गया और में वाघा बॉर्डर पार कर के लाहौर पहुंच गया और अपने भाई अपने दोस्त के साथ अंतिम समय में कुछ दिन गुजार सका! जो एक वर्ष बाद ये दुनिया छोड़ कर चले गये! इसी प्रवास के दौरान पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार, नाटक लेखक और शायर असग़र नदीम सैय्यद और उनकी पत्नी शीबा ने मुझे रात्रिभोज पर आमंत्रित किया! शीबा, जिससे मैं भाई-बहन का रिश्ता रखता हूँ क्योंकि उसका सम्बन्ध हमारे पूर्वजों के शहर मियांवाली से है! इस मौके पर तोहफों के आलावा सैय्यद साहब ने अपनी पुस्तक कहानी मुझे मिली की दो प्रतियां एक मेरे लिये और दूसरी डॉ. तनवीर गोंदल के लिये भेंट की! कोरोना काल के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए मैंने इसे उर्दू से हिंदी में अनुवादित कर दिया और अनुमति ले कर इसे प्रकाशित करवाने का सहस कर रहा हूँ!