चौक चौक पर गली गली में 2
जन नट्य मंच के नुक्कड़ नाटक 2 संस्करण
जन नाट्य मंच का हमेशा से मानना रहा है कि नाटकों की स्क्रिप्ट ज्यादा से ज़्यादा लोगों तक आसानी से मुहैया हो। इसी प्रतिबद्धता के चलते नुक्कड़ जनम संवाद के पिछले बहुत से अंकों में नुक्कड़ नाटक छापे गए हैं। नि:संदेह इससे विभिन्न शहरों-क़स्बों एवं दूर-दराज में मौजूद बहुत-सी नाट्य मंडलियों व कलाकारों को नाटक की स्क्रिप्ट उपलब्ध हुई हैं। जनम के चुनींदा नुक्कड़ नाटकों के प्रकाशन के लिए बहुत से साथियों का काफी दिन से आग्रह रहा है।
अंततः यह पुस्तक आपके हाथों में है। उम्मीद है ये उन सभी रंगों से आपको सराबोर कर सकेगी जो रंग प्रगतिशील साहित्य का मुख्य रंग होता है, जो रंग अपहरण भाईचारे का नाटक के अंदर सफ़दर ने भरा था:
मेरा जन्म हुआ था भाई कितनी ही सदियों पहले
कोई मुझको कहे एकता, कोई भाईचारा कहले।