क्यों सही थे मार्क्स
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इस किताब में मार्क्स के विचारों की आमतौर पर की जाने वाली आलोचनाओं का खंडन पेश किआ गया है, किताब बताती है की न सिर्फ ये आलोचनाएं गलत हैं बल्कि मार्क्स के विचारों की गलत या आधी अधूरी समझदारी से निकली हैं, किताब यह स्थापित करती है की मार्क्स को मनुष्य में गहरी आस्था थी और समाजवाद का मतलब उनके लिए लोकतंत्र का और गहरा होना था न की उसका निषेध, उन्होंने समाजवाद को आज़ादी, नागरिक अधिकार और भौतिक समृद्धि की महान विरासतों का उत्तराधिकारी माना।