दूसरा जीवन
कृष्णा सोबती की जीवनी
कृष्णा सोबती के निकट रहे गिरधर राठी ने इस जीवनी के लिए प्रयत्न कृष्णा जी के जीवन-काल में ही कर दिया था और यह जीवनी इस अर्थ में असाधारण है कि उसमें स्वयं कृष्णा जी द्वारा दी गयी जानकारी का समावेश है।
लगभग तीन वर्ष पहले रज़ा फ़ाउण्डेशन ने एक प्रोजेक्ट बनाया जिसके अन्तर्गत प्रतिष्ठित लेखकों, कलाकारों की सुशोधित जीवनियाँ लिखने का आग्रह कुछ लेखकों-कलाविदों से किया और इसके लिए उन्हें रज़ा फ़ैलोशिप प्रदान की गयी। अब तक जैनेन्द्र कुमार, नागार्जुन, रघुवीर सहाय, भूपेन खख्वर, शंखो चौधुरी, जगदीश स्वामीनाथन की जीवनियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। कृष्णा सोबती के निकट रहे गिरधर राठी ने इस जीवनी के लिए प्रयत्न कृष्णा जी के जीवन-काल में ही कर दिया था और यह जीवनी इस अर्थ में असाधारण है कि उसमें स्वयं कृष्णा जी द्वारा दी गयी जानकारी का समावेश है। हर लेखक का उसके भौतिक अवसान के बाद ‘दूसरा जीवन’ शुरू होता है। यह जीवनी हमारी कालजयी मूर्धन्य कृष्णा सोबती के दूसरे जीवन का हमसे प्रामाणिक और संवेदनशी साक्षात् कराती है। हम यह पुस्तक प्रसननतापूर्वक रज़ा पुस्तक माला में प्रस्तुत कर रहे हैं।