समाजवाद तथा अंतरराष्ट्रीयता
अर्नेस्तो ‘चे’ ग्वेरा एक ऐसे आदर्श क्रांतिकारी थे, जिन्होंने किसी एक देश के लिए नहीं समूची मनुष्यता के लिए संघर्ष किया और अपना बलिदान दिया। उनकी यही विलक्षणता उन्हें बीसवीं शताब्दी के महानतम व्यक्तित्वों में शुमार करती है। उन्होंने अपने अनुभव और अध्ययन के जरिए औपनिवेशिक शोषण की बारीकियों को समझा और उससे मुक्ति के लिए समाजवादी क्रांति की वकालत की। उनका मानना था कि गरीबी और आर्थिक विषमता के मुख्य कारण थे- एकाधिकारवादी पूंजीवाद, नव उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद, जिनसे छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका है विश्व क्रांति। वे एक नए मनुष्य के निर्माण का स्वप्न देखते थे। उनकी राय में चेतनासंपन्न नया मनुष्य एक वर्गविहीन, शोषणमुक्त व्यवस्था का वाहक बनेगा। क्यूबा की क्रांति के बाद चे ने वहां की नई सरकार में कई महत्वपूर्ण कार्य किए और पूरे विश्व में घूमकर क्यूबा के समाजवाद के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया। यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और विचारों को सामने लाने और वर्तमान दौर में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करने का एक विनम्र प्रयास है। इसकी प्रस्तावना मारिया देल कारमेन अरियेत गार्सिया ने लिखी हैं, जो चे के कार्यों पर शोध कर रही हैं और उनके बहुमूल्य विचारों को दुनिया के सामने लाने में जुटी हैं। इसकी भूमिका प्रसिद्ध लेखक-विचारक एजाज़ अहमद ने लिखी है। इसमें चे का संक्षिप्त जीवन वृत्त प्रस्तुत किया गया है। साथ में उनके दो महत्वपूर्ण लेख संकलित किए गए हैं। पहला लेख है-ट्राइकॉन्टिनेंटल के लिए संदेश और दूसरा लेख हैः क्यूबा में व्यक्ति और समाजवाद। इन लेखों में उनके विचारों और अंतर्दृष्टि की झलक मिलती है।