संविधान की सिपाही
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तीस्ता सेतलवाड़ कौन हैं?
हिंदुत्ववादी ताकतों के लिए वो देश के विकास में एक ख़तरनाक बढ़ा हैं। इस किताब में तीस्ता सेतलवाड़ की अपनी कहानी है। वो तीस्ता, जो भारत के स्वाधीनता संग्राम की सबसे प्रगतिशील परंपरा की वंशज हैं। वो तीस्ता, जो न्याय के लिए लगातार लड़ती आई हैं। बेहद हिम्मत और ताकत के साथ।
अपने संस्मरणों में तीस्ता बहुत सी बातें करती हैं : उन पर उनके दादा का प्रभाव; पत्रकारिता में पहला कदम; बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद 1992-93 में मुंबई में भड़की हिंसा; साथी जावेद के साथ उनका सह-कार्य; और गोधरा के बाद गुजरात में हुई हिंसा।
तीस्ता जितनी कर्मठ हैं उतनी बहादुर हैं, जितनी संवेदनशील उतनी प्रेरणादायक। उनकी ज़िन्दगी भारतीय संविधान के लिए प्रतिबद्धता की मिसाल है।