बिहार की चुनावी राजनीति

जाति-वर्ग का समीकरण (1990-2015)

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देश के अन्य राज्यों की तरह ही, अतीत में बिहार की राजनीति में मुख्यतः काँग्रेस का दबदबा रहा है। बिहार में कई दशकों तक काँग्रेस का निर्बाध शासन रहा और यह 1990 तक जारी रहा। इस बीच सिर्फ पांच बार जब राज्य में कुछ समय के लिए गैर-काँग्रेसी शासन रहा। पर मंडल-आंदोलन के बाद की स्थिति ने राज्य की राजनीति की दिशा और दशा बदल दी – चुनावी राजनीति और राजनीतिक प्रतिनिधित्व अब पहले जैसे नहीं रहे।

इस दौर में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का उदय हुआ और व्यापक जनाधार वाले क्षेत्रीय नेता भी सामने आए, विशेषकर समाज के निचले तबके, जैसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दलित, आदिवासी (अविभाजित बिहार में) और मुस्लिमों में। मंडलोत्तर राजनीति ने राज्य में काँग्रेस के अवसान की शुरुआत कर दी। राज्य में मंडल आंदोलन के बाद पहला विधानसभा चुनाव 1995 में हुआ और उसके बाद से राज्य में काँग्रेस का जनाधार निरंतर गिरा है – चुनाव दर चुनाव – और आज 125 साल से ज्यादा पुरानी इस पार्टी का राज्य में राजनीतिक वजूद नगण्य हो गया है।