आज के सवाल, प्रेमचंद के जवाब
प्रेमचंद हिन्दी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखक हैं। समय के साथ उनकी लोकप्रियता और प्रासंगिकता बढ़ती ही जा रही है।
एक सजग और प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में प्रेमचंद न सिर्फ कहानियां और उपन्यास लिखे बल्कि सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लगातार सोचते रहे और उन पर बेबाकी से अपने विचार व्यक्त किए। यह पुस्तिका उनके विचारक रूप को प्रस्तुत करती है। इसमें उनके सात लेख संकलित हैं जो संस्कृति, सांप्रदायिकता, धर्म और स्वदेशी जैसे सवालों पर केंद्रित हैं। चूंकि इन मुद्दों पर आज नए सिरे से बहस हो रही है इसलिए इन लेखों का हमारे लिए विशेष महत्व है। इसमें आज के कई कठिन प्रश्नों के जवाब मिलते हैं और वैचारिक भटकाव से बाहर निकलने के सूत्र भी। इन्हें पढ़ते हुए पता चलता है कि प्रेमचंद के विचार कितने आधुनिक हैं। ऐसा लगता है जैसे वे आज हमारे बीच ही कहीं बैठकर यह सब लिख रहे हों। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे आमजन की भाषा में अपनी बात कहते हैं।