ग़ालिब छुटी शराब

9789387330085

Vani Prakashan, New Delhi , 2019

Language: Hindi

289 pages

Price INR 399.00
Book Club Price INR 339.00
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LWB1289

पेड़ नशे में झूमने लगा और बियर की ख़ाली बोतलें मुंह चिढ़ा रही थीं। रवींद्र कालिया की यह हालत तब हुई जब वह लेखक जगदीश चतुर्वेदी के साथ बियर पी रहे थे। संस्मरण 'ग़ालिब छुटी शराब' में रवींद्र कालिया इसका उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि वास्तव में शराब और कै़ (वॉमिटिंग) का चोली दामन का साथ है। कै़ के अनेक रूप होते हैं। चाहते या न चाहते हुए भी पीने वालों को अनायास ही उसका दीदार हो जाता है। सबसे खूबसूरत कै़ वह जो 'स्पांटेनियस ओवरफ्लो' की तरह निःसृत होती है। इसे स्वतःस्फूर्त कै़ की संज्ञा दी जा सकती है।

Ravindra Kalia

हिंदी साहित्य में रवींद्र कालिया की ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार और संस्मरण लेखक के अलावा एक ऐसे बेहतरीन संपादक के रूप में है, जो मृतप्राय: पत्रिकाओं में भी जान फूंक देते हैं। रवींद्र कालिया हिंदी के उन गिने-चुने संपादकों में से एक हैं, जिन्हें पाठकों की नब्ज़ और बाज़ार का खेल दोनों का पता है। 11 नवम्बर, 1939 को जालंधर में जन्मे रवीन्द्र कालिया हाल ही में भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्होंने ‘नया ज्ञानोदय’ के संपादन का दायित्व संभालते ही उसे हिंदी साहित्य की अनिवार्य पत्रिका बना दिया।