पेरियार ललाई सिंह ग्रंथावली

9789391950712

Radhakrishna Prakashan, New Delhi, 2022

Language: Hindi

1936 pages

Price INR 2,000.00
Book Club Price INR 1,600.00
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LWB1405

मुझे ऐसा लगता है कि वर्णाश्रम धर्म, वर्तमान सत्ताधारी पार्टी की विचारधारा, हिन्दुत्व, का अभिन्न अंग है। इसके प्रवक्ता गोलवलकर ने साफ शब्दों में लिखा था कि वर्ण और आश्रम, समाज में हिन्दू ढाँचे की विशेषताएँ हैं।

भारत में हिन्दुत्ववादी आन्दोलन के समर्थक वर्ण, आश्रम और जाति-प्रथा के सार्वजनिक व्यख्याता और प्रशंसक हैं। अगर नरमपंथी—हिन्दू राष्ट्रवादी, वर्णाश्रम धर्म के विरोध में हैं, तो वे हिन्दुत्व के प्रखर विरोध के लिए आगे क्यों नहीं आते हैं! और समतामूलक सोच और समाज का अभियान क्यों नहीं चलाते? यह ग्रंथ और पेरियार ललई सिंह का चिन्तन इसी बात को चरितार्थ करता है।

—ज्यां द्रेज

Dharamveer Yadav Gagan

एक अध्यापकीय परिवार में जन्म, 2 जुलाई, 1988 आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ये मूलतः अनुसन्धानकर्ता हैं। जमीनी शोध कार्यों में कई वर्षों से सक्रिय हैं। अपनी अभिरुचि के कारण साहित्य, समाज, धर्म, संस्कृति, अर्थ, राजनीति आदि की गम्भीर समझ रखते हैं। छात्र आन्दोलनों में लगातार सक्रिय हैं। अपने समाज और राष्ट्र को बौद्धिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ लगातार प्रबोधित कर रहे हैं। अपना वैचारिक हीरो फुले, अम्बेडकर, पेरियार, मंडल और फूलन को मानते हैं। इन्होंने एक फिल्म और एक नाटक में अभिनय भी किया है।

Periyar Lalai Singh

जन्म 1 सितम्बर, 1911 ई. को गाँव—कठारा, झींझक, जिला—कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। पिता—चौधरी गज्जु सिंह लघु-जमींदार थे। आप भूतपूर्व ग्वालियर नेशनल आर्मी में सन् 1933 में स्टेनोटाइपिस्ट-लिपिक पद पर सिपाही के रूप में भर्ती हुए। सन् 1945 में हाई-कमांडर हुए। देश की स्वतंत्रता के लिए 1945 ई. से 1947 ई. तक आन्दोलन किए। जेल गए। ब्रिटिश साम्राज्य विरोध के कारण आप वर्षों जेल में रहे। स्वतंत्रता के लिए जेल में 40 दिनों की लम्बी भूख हड़ताल की। सन् 1948 में स्वतंत्रता के साथ ग्वालियर सेंट्रल जेल से छूटे। आपको ‘उत्तर भारत का पेरियार’ कहा जाता है। आप नास्तिक थे। आप अंग्रेजी, पालि, प्राकृत, तमिल, मराठी, हिन्दी और उर्दू के अध्येता थे। इसमें, आप अंग्रेजी भाषा के विद्वान थे। आपको गणित और ज्यामिति का अद्भुत ज्ञान था। आपका निर्वाण 7 फरवरी, 1993 ई. को हो गया। आप अनन्य अध्येता, ऑर्गेनिक इंटेलेक्चुअल, चिन्तक, लेखक, कवि, नाटककार और आन्दोलनकारी विभूति थे।